समझदार पति और पत्नी ( बाई)
यह उस समय की बात है जब जब मै चण्डीगढ से सनातकोतर की डिग्री प्राप्त की ही थी हमारे पिता जी ईमानदार बैंक मैनेजर थे अतः उनकी इसी बात पर कामचोर स्टाफ के कुछ कर्मचारियो से नहीं बनती थी इसलिए हस्तांतरण होता रहता था कभी-कही कभी-कही जब पिता जी रिटायर हुए तो सिक्कम कोआपरेटिव बैंक मे जाबॅ लगी उसके बाद पानीपत आने का तो कोई विचार ही नहीं था पर कहते हैं न कि दाना पानी जहाँ का हो वहा जाना ही होता है फिर हम फिर से पानीपत आ गए फिर जहाँ गए वहां सारी वयवस्था की धीरे धीरे फिर अपना नया घर बनाया फिर वहां सब वयवस्था करने के बाद काम वाली बाई लगायी वो पहली बाई थी जिनका पति भी समझदार था दोनों जीवन की गाड़ी को चलाने वाले अच्छे साझेदार थे दोनों ही काम करते थे
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